इसरो ने पवित्र गीता के साथ अन्य धर्मों के पवित्र ग्रंथों को क्यों नहीं भेजा? : रिजवी
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रायपुर. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मीडिया प्रमुख, मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व उपमहापौर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर एक मिशन के तहत ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान अर्थात् पी.एस.एल.वी. के जरिए श्री हरिकोटा, आंध्रप्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेन्टर से ई-गीता एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर अंतरिक्ष में भेजे गए। मिशन की सफलता के लिए इसरो बधाई का पात्र है। रिजवी ने कहा है कि हमारा देश सेकुलर है तथा सभी धर्मों को एक ही नजरिए से देखता है। देश के सर्व-धर्म-सम्भाव वाले संविधान के तहत पवित्र गीता के साथ-साथ कुराने पाक, बाईबिल एवं गुरूग्रंथ साहिब की प्रतिया भी भेजी जानी चाहिए थी। अन्य धर्मों के पवित्र ग्रंथों को न भेजकर धर्मान्ध मानसिकता का परिचय केन्द्र सरकार एवं इसरो ने दिया है जो नाकाबिले बर्दाश्त है। रिजवी ने कहा है कि पी.एम. श्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर भेजना भी गैरवाजिब है। उनके स्थान पर भारत की आत्मा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर भेजी जानी चाहिए थी। यह केवल नरेन्द्र मोदी को महिमामंडित करने की इसरो की खुशामद का प्रतीक है। मोदी के साथ देश के दलित राष्ट्रपति की तस्वीर न भेजना जातीय भेदभाव को परिलक्षित करता है जो दलितों के प्रति भाजपा की हेय भावना को उजागर करता है। इसी भावनात्मक सोच के तहत राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में दलित महामहिम रामनाथ कोविंद को आमंत्रित नहीं किया गया था। इससे भाजपा की वर्ग भेद एवं दलित तिरस्कार की नीयत स्पष्ट झलकती है। पवित्र गीता के साथ पवित्र रामायण को न भेजना भाजपा के दोहरे मापदण्ड को दर्शाता है। इसरो आगामी प्रक्षेपणों में इन भूलों को सुधार कर अपनी निष्पक्षता दर्शाए।